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'तकनीक के जरिये बच्चों तक पहुंचने की कोशिश'

बलदेव पारी Updated Thu, 13 Sep 2018 06:16 AM IST
Baldev Pari- Man Who Harnessed The Power Of Internet To Teach Thousands Of Students
बलदेव पारी
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मैं गुजरात के जूनागढ़ स्थित बरवाला सेकंडरी स्कूल में गणित का शिक्षक हूं। मैंने देखा है कि कई शिक्षक अच्छी-खासी फीस लेकर प्राइवेट ट्यूशन पढ़ाते हैं, जिससे गरीब छात्र हमेशा महरूम रहते हैं। ऐसे ही वंचित बच्चों के लिए ही मैंने किसी ऐसी वैकल्पिक व्यवस्था के बारे में सोचा।



आठ साल पहले ही मुझे इंटरनेट की ताकत का अंदाजा हो गया था। मैंने 2010 में अपनी वेबसाइट रजिस्टर की थी। चूंकि मैं इंटरनेट की दुनिया से बिल्कुल अनभिज्ञ था, सो मुझे नियमित रूप से वेबसाइट अपडेट करने में साल भर से ज्यादा वक्त लग गया। लेकिन एक बार सब कुछ समझने के बाद मैं नियमित रूप से गणित की पढ़ाई संबंधी वीडियो अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने लगा। मैं चाहता था कि कोई भी विद्यार्थी कहीं से भी अपने मुताबिक पाठ्य सामग्री तक पहुंच सके। विद्यार्थियों की मदद के लिए कई तरह के प्रश्न-पत्र और उनके उत्तरों को भी मैंने वेबसाइट पर अपलोड किया। तकनीक के सहारे पढ़ाई को और रुचिकर बनाने के लिए मैं तरह-तरह के प्रयोग करता रहता हूं। मैंने अमिताभ बच्चन के प्रसिद्ध टीवी शो-कौन बनेगा करोड़पति की स्टाइल में क्विज तैयार करके वेबसाइट पर अपलोड की है। इस तरह की क्विज के बहुत सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं।


शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे ब्लॉगर्स के लिए आयोजित किए गए एक कार्यक्रम से मैंने काफी कुछ सीखा है। वह कार्यक्रम यूनिसेफ द्वारा आयोजित किया गया था। मैंने उनके सुझावों पर बखूबी अमल किया। मैं खुद को सिर्फ गणित के शिक्षक के रूप में सीमित नहीं रखना चाहता था। अपनी वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर मैंने मूल्य आधारित शैक्षणिक वीडियो भी अपलोड किए हैं, जिसमें मेरी पत्नी की आवाज का प्रयोग किया गया है।

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मेरी पत्नी भावना एक आयुर्वेदिक अस्पताल में काम करती है। डिजिटल मंच की सभी तरह की जरूरतों के लिए मैंने अपनी जेब से सात लाख रुपये खर्च किए हैं। लेकिन ये रुपये किसी काम के नहीं होते, यदि इस काम में मुझे अपनी पत्नी का भावनात्मक सहारा न मिलता।

डिजिटल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर मैंने अन्य शिक्षकों के लिए बीस से अधिक कार्यशालाओं का आयोजन किया है। उनके लिए मेरी कार्यशाला बिल्कुल निःशुल्क होती है। इस तरह मैंने अब तक करीब तीन हजार लोगों को प्रशिक्षण दिया है। यहां तक कि राज्य के शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चुडासमा भी मेरे एक कार्यक्रम में भाग ले चुके हैं। यह सच में मेरे लिए एक सम्मान की बात है। पिछले वर्ष मुझे शिक्षकों के राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया।

मैं और मेरी पत्नी मिलकर एक विशेष पुस्तक पर्व का भी आयोजन करते हैं, जहां से कोई भी जरूरतमंद बच्चा निःशुल्क किताबें ले सकता है। और उसे उस किताब को लौटाने की भी जरूरत नहीं होती। मैं तकनीक के जरिए गरीब बच्चों का भविष्य संवारने में जुटा हूं। मैं बस यही चाहता हूं कि जो बच्चे ट्यूशन पढ़ने में असमर्थ हैं, वे घर बैठे मेरी क्लास के जरिये पढ़ाई करें। आज की तारीख में मेरी वेबसाइट पर लाखों विजिटर हैं, जबकि मेरे यूट्यूब चैनल के भी हजारों फॉलोअर हैं। स्मार्टफोन के युग में कोई भी मुझसे जुड़कर बहुत आसानी से गणित की उलझनें सुलझा सकता है।
-विभिन्न साक्षात्कारों पर आधारित।
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